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असाध्य रोगों को ठीक करने वाली औषधी अपामार्ग के लाभ

क्या आपने एक ऐसी औषधि के बारे में जाना है ? जिसे दोषों का संशोधन करने वाली,भूख बढानेवाली एवं असाध्य रोगों को ठीक करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है और यह औषधि प्रायः सम्पूर्ण भारत में पायी जाती है नाम है “अपामार्ग ” मयूरक ,खरमंजरी,मर्कटी ,शिखरी आदि नामों से प्रचलित यह वनस्पति समस्त भारत में पायी जाती है ,इसके फूल हरे या गुलाबी कलियों से युक्त होते हैं तथा बीजों का आकार चावल क़ी तरह होता है !बाहर से देखने में इसका पौधा 1 से 3 फुट उंचा होता है ,शाखाएं पतली,पत्ते अंडाकार एक से पांच इंच लम्बे होते हैं ,फूल मंजरियों में पत्तों के बीच से निकलते हैं Iअपामार्ग क़ी क्षार का प्रयोग विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में बहुतायात से किया जाता है I अपामार्ग कफ़-वात शामक तथा कफ़-पित्त का संशोधन करने वाले गुणों से युक्त होता है Iइसे रेचन ,दीपन ,पाचन ,कृमिघ्न,रक्तशोधक ,रक्तवर्धक ,शोथहर,डायुरेटिक गुणों से युक्त माना जाता है I
आइये अब इसके कुछ औषधीय प्रयोगों क़ी चर्चा करें :--यदि आप आधे सिर के दर्द से परेशान हों तो इसके बीजों के पाउडर को सूंघने मात्र से दर्द में आराम मिलता है I-यदि साइनस में सूजन (साईनोसाईटीस) जैसी समस्या से आप परेशान हो रहे हों जिस कारण नाक हमेशा बंद रहती हो और सिर में अक्सर भारीपन बना रहता हो तो इसके चूर्ण को सूंघने मात्र से लाभ मिलता है
-दांतों के दर्द में इसके पत्तों का स्वरस रूई में लगाकर स्थानिक रुप से दांत पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है
-यदि अपामार्ग की ताज़ी जड़ का प्रयोग दातून के रूप में कराया जाय तो दांतों क़ी चमक बरकार रहेगी और दाँतों क़ी विभिन्न समस्याओं जैसे दाँतों का हिलना,मसूड़ों क़ी दुर्गन्ध एवं दाँतों के हिलने जैसे स्थितियों में लाभ मिलता है
-अपामार्ग क़ी जड़ को साफ़ से धो कर इसका रस निकालकर बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर आग में पकाकर ,तेल शेष रहने पर छानकर किसी शीशी या बोतल में भरकर रख लें,हो गया ईयर ड्राप तैयार ,अब इसे दो-दो बूँद कानों में डालने से कान के विभिन्न रोगों में लाभ मिलता है
-अपामार्ग क़ी जड़ को बलगमयुक्त खांसी और दमे जैसी स्थितियों में चमत्कारिक रूप से प्रभावी पाया गया है.
-अपामार्ग क़ी क्षार क़ी 500 मिलीग्राम क़ी मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर सुबह शाम चाटने मात्र से कफ़उत्क्लेषित होकर बाहर आ जाता है, यह योग बच्चों में विशेष रूप से फायदेमंद होता है.
-यदि आप बार- बार आनेवाली खांसी से परेशान हों या कफ़ बाहर निकलने में परेशानी हो रही हो तो कफ़ गाढा निकल रहा हो तो अपामार्ग के क्षार को 250 मिलीग्राम एव 250 मिलीग्राम मिश्री के साथ मिलाकर गुनगुने पानी से देने से काफी लाभ मिलता है.
-यदि रोगी सांस (दमे ) के कारण सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहा हो तो अपामार्ग क़ी जड़ का पाउडर पांच ग्राम, ढाई ग्राम काली मिर्च के पाउडर के साथ प्रातः सायं लेने से लाभ मिलता है.
-अपामार्ग के बीजों को पीस लें और प्राप्त चूर्ण को 2.5 ग्राम क़ी मात्रा में सुबह-शाम चावल को धोने के बाद शेष बचे पानी के साथ प्रातः सायं देने से खूनी बबासीर (ब्लीडिंग पाइल्स ) में लाभ मिलता है.
-अपामार्ग क़ी पत्तियों को 5 क़ी संख्या में लेकर इसे काली मिर्च के पांच टुकड़ों के साथ पानी में पीसकर सुबह-शाम लेने से पाइल्स (अर्श ) में लाभ मिलता है और इस कारण निकलने वाला खून भी बंद हो जाता है.
-यदि रोगी पेट के दर्द से परेशान हो तो अपामार्ग की पंचांग को दस से पंद्रह ग्राम की मात्रा में लेकर इसे आधा लीटर पानी में पकाने के बाद चार भाग शेष रहे तो इसमें 250 मिलीग्राम नौसादर का पाउडर और लगभग 2.5 ग्राम काली मिर्च पाउडर मिलाकर दिन में दो बार सात से दस दिन तक लगातार देने से लाभ मिलता है.
-यदि आप भूख न लगने जैसी समस्या से परेशान हों तो घबराएं नहीं बस अपामार्ग की पंचांग (जड़,तने,पत्ती,फूल एवं फल ) का क्वाथ बनाकर इसे बीस से पच्चीस मिली की मात्रा में खाली पेट सेवन करें तो इससे पाचक रसों की वृद्धि होकर भूख लगने लगती है तथा हायपरएसिडिटी में भी लाभ मिलता है.
-स्त्रियों में अनियमित मासिक चक्र ,अधिक रक्तस्राव आदि कारणों से गर्भ धारण में हो रही समस्या में भी अपामार्ग अत्यंत ही लाभकारी औषधि के रूप में जानी जाती है ..बस इसके बीजों के पाउडर को पांच से दस ग्राम की मात्रा में या इसकी जड़ को साफकर सुखाकर बनाए गए पाउडर को पांच से दस ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ पिलाने से लाभ मिलता है.
-अपामार्ग,वासा ,पाठा ,कनेर इनमें से किसी एक औषधि की जड़ को स्त्री की नाभि,मूत्र प्रदेश या योनि के आसपास लेपन करने मात्र से सुख-प्रसव होना विदित है …!
-अपामार्ग की जड़ को पीसकर योनि के आसपास रुई में मिलाकर योनि में रखने मात्र से योनिशूल और मासिक धर्म की रुकावर दूर होती है.
-जोड़ों की सूजन में इसके ताजे पत्तों को पीसकर लेप करने मात्र से सूजन घटने लग जाती है.
-अपामार्ग की ताज़ी पत्तियों को आठ से दस की संख्या में लेकर काली मिर्च के पांच से आठ टुकड़े एवं तीन से पांच ग्राम लह्शुन के साथ एक साथ पीसकर गोली बनाकर ..एक गोली बुखार आने से पूर्व सेवन करने पर यह ज्वर मुक्त करने में मदद करता है I-हल्दी के साथ अपामार्ग की जड़ का प्रयोग बराबर मात्रा में नियमित रूप से करने पर एंटीवाइरल प्रभाव प्राप्त होता है.
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चिकनगुनिया को रखें खुद से दूर, जानिए कैसे ?

मौसम बदलने के साथ साथ बहुत सारे वायरल रोग भी फैलते हैं। इन दिनों वायरल फीवर, खांसी-जुकाम की परेशानी आम सुनने को मिल रही हैं। सबसे पहले तो बाहर के खाने से परहेज करें और साफ सुथरा स्वस्थ भोजन खाएं। इन दिनों चिकनगुनिया भी काफी तेजी से फैल रहा है। यह रोग ऐसे हैं जो संक्रमण और साफ सफाई ना होने की वजह से फैलते हैं। दिल्ली में तो चिकनगुनिया ने हड़कंप मचा रखा है।
चिकनगुनिया मच्छर के काटने से ही होता है जिससे रोगी बुखार खांसी, जुकाम से ग्रस्ति हो जाता है। इस रोग की गंभीर बात यह है कि इस रोग से बचने के लिए कोई टीका नहीं है। आमतौर पर चिकनगुनिया का मच्छर दिन में काटता है इसलिए दिन में भी मच्छर कॉयल जलाकर रखें।

चिकनगुनिया को रखें खुद से दूर, जानिए कैसे ?
लक्षण
– जोड़ों में दर्द
-100 डिग्री के आस-पास बुखार।
– शरीर पर लाल रंग के रैशेज बन जाते हैं।
– भूख नहीं लगती और थकान
– सिर में दर्द और खांसी-जुकाम
बचाव
– आस-पास साफ-सफाई का ध्यान रखें।
– मच्छरदानी का प्रयोग करें।
– खुद ही डॉक्टर बन दवाई ना खाएं। चेकअप जरूर करवाएं।
– खूब पानी पीजिए।
– बाहर का खाना ना खाएं
– खिड़की-दरवाजों को बंद रखें ताकि मच्छर घर में प्रवेश ना कर पाएं।
– पूरे ढके कपड़े पहनें।
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