Health & Fitness
दिन भर काम करने वाली महिलाओ के लिए ये नुस्खा हैं रामबाण…

स्त्रियों के लिए बड़ी अजीब सी बात है कि दिन भर काम करने के बाद जब महिलाए रात में बिस्तर पर पहुंचती हैं तो आधे घंटे तक दर्द से कराहती रहती हैं । पुराने ज़माने में घर औरते आज से भी बहुत ज़्यादा काम करती थी और फिर भी तंदुरूस्त रहती थी। आखिर वो ऐसा क्या करती थी। आज आपको बताएँगे ऐसा ही सरल सा घरेलु नुस्खा।
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Diet
मासानुसार गर्भिणी परिचर्या,प्रथम मास से नवम मास तक

हर मास में गर्भ में शिशु के शरीर की वृधि होती है अत: विकासक्रम के अनुसार हर महीने गर्भिणी को कुछ विशेष आहार लेना चाहए | प्रथम मास में-
प्रथम मास में गो दुग्ध,घी,मक्खन का सेवन करे. मीठी और ठन्डे आहार का सेवन करे. : Sweet, cold and liquid diet, Medicated milk, Madhuyashti, madhuka puspa with butter, honey and sweetened milk
दुसरे मास में – : काकोली ओषधि का गो दूध के साथ सेवन करे
Milk medicated with madhura rasa (sweet taste) drugs, Sweetened milk treated with kakoli
तीसरे मास में – मधु,घी,ढूध का सेवन करे. सस्ती चावल की ढूध के खीर बनाकर सेवन करे साथ ही खिचड़ी का सेवन करे.
Milk with honey and ghrita, Milk with honey and ghrita
चतुर्थ मास में : ढूध, मक्खन(25ग्राम) का सेवन करे साथ सस्ठी चावल का ओधन ले.
Milk with butter, Cooked sasti rice with curd, dainty and pleasant food mixed with milk and butter, Milk with one tola (12gm) of butter, Medicated cooked rice
पंचम मास में : ढूध घी सस्ठी चावल का पानी ढूध के साथ,ढूध से निकले गए मक्खन का प्रयोग.
Ghrita prepared with butter extracted from milk, Cooked shastika rice with milk, meat of wild animals along with dainty food mixed with milk and ghrita
छठा मास में – : मधुर वर्ग की ओषधि और घी ढूध, मीठी दही, गोखरू से सिद्ध घी और यवागू, इस मास में बुद्धि के विकास के लिए बादाम, ब्राह्मी, शंख पुष्पि का सेवन करे
Ghrita prepared from milk medicated with madhura (sweet) drugs, Ghrita or rice gruel medicated with gokshura
सप्तम मास में- : मधुर ओषध के साथ घी ढूध का पवन करे. प्रधक परनी से सिद्ध घी का सेवन, मीठे घी का सेवन करे,
Ghrita medicated with prithakaparnyadi group of drugs.
अठमा मास में – ढूध घी का सेवन. अनुवासन, अस्थापन वस्ति का प्रयोग.
Kshira Yawagu mixed with ghrita, Asthapana basti with decoction of badari mixed with bala,atibala satapuspa,patala etc.,honey and ghrita. Asthapan is followed by Anuvasana basti of oil medicated with milk madhura drugs
नवम मास में – : इन महीने में चावल को ६ गुना दूध व ६ गुना पानी में पकाकर घी दाल के पाचनशक्ति के अनुसार सुबह-शाम खाये अथवा शाम के भोजन में दूध-दलियें में घी डालकर खाये | शाम का भोजन तरल रूप में लेना जरूरी है |
Anuvasana basti with oil prepared with drugs of Madhura (sweet) group, vaginal tampon of this oil, Unctuous gruels and meat-soup of wild animals up to the period of delivery
पंचामृत : ९ महीने नियमित रूप से प्रकृति व पाचनशक्ति के अनुसार पंचामृत ले |
पंचामृत बनाने की विधि : १ चम्मच ताजा दही, ७ चम्मच दूध, २ चम्मच शहद, १ चम्मच घी व १ चम्मच मिश्री को मिला लें | इसमें १ चुटकी केसर भी मिलाना हितावह है |
गुण : यह शारीरिक शक्ति, स्फूर्ति, स्मरणशक्ति व कांति को बढ़ाता है तथा ह्रदय, मस्तिष्क आदि अवयवों को पोषण देता है | यह तीनों दोषों को संतुलित करता है व गर्भिणी अवस्था में होनेवाली उलटी को कम करता है |
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आखिर आयुर्वेद और वात, पित व कफ क्या है?

आयुर्वेद क्या है ?
हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।
मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥
जिसमे आयु के हिताहित का ज्ञान और उसका योग मालूम हो उसको आयुर्वेद कहते है .
जिसमे आयु का हित- अहित, रोग का निदान और शमन हो , उसको लोग आयुर्वेद कहते है
आयुर्वेद की आवश्यकता ?
जो आयुर्वेद और धर्मशास्त्र की युक्तियो के अनुसार चलते है उनको रोग नहीं होते है और उनके पुण्य और आयु में वृधि होती है चिकित्सा करने से कही धन की प्राप्ति होती है तो कही मित्रता होती है कही कर्म होता है तो कही यश मिलता है. और कही किर्या करने से अभ्यास बढ़ता है किन्तु वेधक शिक्षा कभी व्यर्थ नहीं जाती है.
दोष क्या ?
है आयुर्वेद में तीन दोष होते है वात,पित्त और कफ. धातु और मल इन तीनो दोषों से दूषित होते है इसलिए इनको दोष कहते है यहाँ दोष को धारण करते है इसलिए इनको धातु भी कहते है महान आयुर्वेदाचार्य वाग्भट के अनुसार – वात ,पित्त और कफ दूषित होने से देह(Body) का नाश करते है तथा शुद्ध होने पर शरीर को धारण करते है.
वात के प्रकार और रहने व रहने के स्थान ?
- उदान वायु –ये कंठ में रहती है.
- प्राण वायु –ये दिल में में रहती है.
- समान वायु – ये नाभि में रहती है.
- अपान वायु – ये मलाशय में रहती है.
- व्यान वायु –ये समस्त शरीर में व्याप्त रहती है .
पित के प्रकार और रहने व रहने के स्थान ?
- पाचक पित्त – ये अमाशय में रहता है.
- रंजक पित्त – ये लीवर में रहता है.
- साधक पित – ये दिल में रहता है.
- आलोचक पित –ये आँखों में रहता है.
- भ्राजक पित – ये सारे शरीर और आँखों में रहता है.
कफ के प्रकार और रहने व रहने के स्थान ?
- क्लेदक काफ – ये पेट में रहता है.
- अवलम्बक कफ – ये दिल में रहता है.
- रसन कफ – ये कंठ में रहता है.
- स्नेहन कफ – ये सिर में रहता है.
- श्लेष्मक कफ – ये जोड़ो में रहता है.
धातु क्या है ?
- रस
- रक्त
- मॉस
- मेद
- अस्थि
- मज्जा
- शुक्र ये सात धातुये होती है यहाँ मनुष्य के शरीर में स्वयं रहकर देह को धारण करती है,
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यौन शक्ति बढ़ाने के लिए सहजन के फूल का सेवन करें..!!!

सब्जी की दुकान पर या आपने लंबी हरी-हरी सहजन (drumstick) की फलियां तो देखी होंगी, जिसे सुरजने की फली भी या कुछ क्षेत्रों में मुंगने के फली भी कहा जाता है। सहजन की यह फली केवल बढ़िया स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत और सौंदर्य के बेहतरीन गुणों से भी भरपूर है। जरूर जानिए सहजन के यह 5 अनमोल लाभ – सहजन के पौधे में बहुत गुण होते है मगर क्या आपको पता है कि इसके फूल के भी बहुत सारे स्वास्थ्यवर्द्धक गुण होते हैं। सहजन के फूल प्रजनन प्रणाली को उन्नत करने के साथ-साथ शुक्राणु की संख्या को बढ़ाने और स्वस्थ करने में मदद करते हैं। यह नपुसंकता और इरेक्टाइल डिसफंक्शन की बीमारी को ठीक करने में भी सहायता करते हैं।

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सहजन कैसे मदद करता है?
सहजन में टेरीगोसपरमीन (terigospermin) नाम का यौगिक (compound) होता है जो शुक्राणुओं को स्वस्थ करने और संख्या को बढ़ाने में मदद करता है। यह यौगिक सेक्स जीवन को बेहतर बनाने में और कामवासना को बढ़ाने में भी मदद करता है।
सहजन का ड्रिंक बनाने की विधि
सहजन का ड्रिंक बनाने के लिए कुछ फूल, दूध, इलायची, और चीनी लें। एक गिलास दूध ले और उसमें कुछ सहजन के फूल डालकर उबालें। फूल को दूध में हिलाते हुए पकायें। कुछ देर तक पकने के बाद उसमें इलायची का पावडर डालें। एक बार अच्छी तरह से उबलने के बाद स्वाद के अनुसार उसमें चीनी डालें। जब यह मिश्रण थोड़ा गाढ़ा हो जाये तो आंच पर से उतार दें। इस मिश्रण को थोड़ा ठंडा करने के बाद पीयें। अगर आप डायट पर हैं तो चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। सहजन पेयजल का सेवन रोजाना करें।
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